20131102

इक बूंद

गयी रात निकल पड़ा था
यूँ ही
चाँद की ओर
पिछली पगडंडी से होकर
कन्धो पर शाल डाले हुए
नन्हा सा बादल का टुकड़ा
गुजरा जब छु कर
इक बून्द
न जाने कहाँ से आयी
क्यूं कर
भिगो गयी