20131030

आँखों के पीछे

उन सादा सी गहरी आँखों के पीछे
कुछ यादों की नज्में पुरानी हैं
कुछेक टीस देते अश्यार हैं
कभी लय में थे सुर जिंदगी के
और बहता था एक निर्झर ख़ुशी का

वक्त ने करवट बदली
आज वहां एक दरिया है
सारी आवाजें
सभी धुनें
सब खामोश हैं
दरिया बहता है
और
जिंदगी चलती है

No comments:

Post a Comment