20130824

ना जाने क्यों.……

ना जाने क्यों बड़ी सूनी लगती है जिंदगी
न जाने क्यूँ लगता है कि
कुछ खो गया है
तलाशता हूँ
दर बदर
एक परछाई का पीछा करता हूँ
जिसकी न कोई शकल है
न ही है वजूद उसका कहीं पर
मगर
तलाशता हूँ
उसको
न जाने उससे मेरा रिश्ता क्या है


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