20141226

लम्हे

जिंदगी बनती हे लम्हों से
कुछ छोटे छोटे पल
कुछ उनसे भी छोटे लम्हे
कुछ लम्हे बसंत की आमद की तरह होते हैं
बिल्कुल नए
नई कोपलेँ
पेडो के नन्हे पत्तो की माफिक
कुछेक बारिश के पानी की तरह होती हैं
हमेशा ही नम रहती हैं
छू लो गर तो भिगो दिया करती हैं
अहसास के धागे में पिरोये ये लम्हेे

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