जिंदगी बनती हे लम्हों से
कुछ छोटे छोटे पल
कुछ उनसे भी छोटे लम्हे
कुछ लम्हे बसंत की आमद की तरह होते हैं
बिल्कुल नए
नई कोपलेँ
पेडो के नन्हे पत्तो की माफिक
कुछेक बारिश के पानी की तरह होती हैं
हमेशा ही नम रहती हैं
छू लो गर तो भिगो दिया करती हैं
अहसास के धागे में पिरोये ये लम्हेे
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