हर रात जग के तेरा इन्तजार करना
कभी तेरे आने की चाह में
करवटें बदलते सो जाना
कभी तेरा आना
और बस यूँ ही चले जाना
कभी तेरा मुझे हँसाना और अचानक
मेरी उदासी का सबब बन जाना
हर बार एक नयी तरकीब से
जाने अनजाने
दिल पे चोट कर जाना
हर बार तुझसे दूर जाने का सोचना
हर रात मेरे आसुओं की बारिश से नम
मेरे तकिए का मुझे तसल्ली देना
एक नए सवेरे का
तेरे बदल जाने का आस धराना
एक बार फिर तेरे लिए
वो अनजाना सा एहसास लिए आँखें खोलना
फिर से रात का...तेरे साथ का
उसी बेसबरी से इन्तजार
फिर से वही सिलसिला
तेरा आ के भी ना आना
मुझे करना नजरन्दाज
फिर से मेरा दिल दुखाना
और मेरा सिसिकियों को तकिये में छुपाये
गीली पलकों के साथ सो जाना
फिर से कोशिश करते हुए
एक नाकाम कोशिश तुझे ना सोचने की....
20141230
एक नाकाम कोशिश तुझे ना सोचने की...
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