पिता अपनी बेटियों के जीवन को जबरदस्त तरीके से प्रभावित करता हैभले ही वह प्रभाव सकारात्मक हो या नकारात्मक
पिता के व्यवहार से बेटी सीखती है जीवन में आने वाले दुसरे लोगों को
उसी के व्यवहार से दुसरो को समझती है
शायद एक लड़की को दुनिया को समझने के लिए उसके पिता की जरूरत है,पिता उसकी दुनिया है,विशेष रूप से किशोरावस्था के दौरान,चंचल उतार चढ़ाव के समय उसे अपने पिता के स्थिर मार्गदर्शन और शांत उपस्थिति की जरूरत हुआ करती है,उसे एक संतुलित पिता की जरूरत है,जो सख्त है लेकिन जिसे प्यार और क्षमा भी आती है
जब कभी वो डगमग हो पिता साथ होना चाहिए संभालने की खातिर
आसमा में उड़ते हुए जब अचानक कोई बाज़ उसपर लपके पिता का होना उस वक्त लाज़मी होता है
छुटपन में पिता के हाथों का झुला उसकी पहली पसंद है,भले वो बड़ी हो जाती है लेकिन उसे पिता की उपस्थिति की जरूरत होती ही है
एक बेटी को अपने पिता के बिना शर्त प्यार की जरूरत होती है
अगर बेटी को पिता का प्यार,साथ मिले तो उसे अपने जीवन में किसी और प्यार की जरूरत नहीं होगी
पिता को बेटी को विश्वास दिलाना चाहिए कि वक्त पड़ने पर वो उसकी खातिर जान भी दे सकता है
पिता को अपने प्यार को प्रदर्शित करना चाहिये
एक पिता एक लड़की को खुद के बारे में कैसा लगता है समझने में एक बड़ी भूमिका निभाता है
पिता के प्रोत्साहन से बेटी के आत्मविश्वास की भावना विकसित करने में मदद मिलती है
पिता उसको पहचानता है और बेटी की आंतरिक गुणों पर टिप्पणी कर उसे एक स्वस्थ आत्म छवि देता है
एक पिता विभिन्न गतिविधियों में बेटी की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है और थोड़ा नियंत्रण जो खत्म हो गया है सिर्फ उसके उपस्थिति से नियंत्रित करके आत्मसम्मान प्रदान करता है
इसके अलावा, वह अपने सम्मान और आत्म छवि के लिए निर्धारित कारक के रूप में उसके लिए एक पुरुष की इच्छा पर निर्भर होने की संभावना कम है
अपनी बेटियों को प्रोत्साहित करने वाला पिता उन्हें जीवन में एक बड़ा आदर्श होता है
प्रोत्साहन के बिना भी कई महिलायें निराशा की भावनाओं के साथ जीवन बिताती हैं
पिता ही उसे मजबूत और स्वतंत्र बनाता है
जो पिता गलती करते हैं और स्वीकार करते हैं गलती को,विशेष रूप से अपनी बेटियों अपने बच्चों के लिए वरदान है
एक पिता गलती स्वीकारता है कि वह कुछ नहीं जानता तो वो अपनी बेटी को सिखाता है कि बड़ा होना ही सब कुछ नही होता
20150201
पिता
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