रिश्ते फूल हैं कुम्हला जाते वक्त के साथ और सूख जाते झड के मिल जाते मिट्टी में मिल जाये कोई जो बन के गुलकंद मिठास भरते पर खुश्बू पहले वाली और रंगत वापस नही आती
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