20141220

जब

खोने की खातिर कुछ है ही नही
कुछ पाने की हसरत भी नही
जीने की खातिर अब जिंदगी भी बची नही
चन्द लम्हे जो हैं झोली में उन्ही में जीना होगा
इस अधूरेपन का गरल अब तो पीना ही होगा
जब हकीकत मेरी जानेगी दुनिया सारी

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