खोने की खातिर कुछ है ही नही कुछ पाने की हसरत भी नही जीने की खातिर अब जिंदगी भी बची नही चन्द लम्हे जो हैं झोली में उन्ही में जीना होगा इस अधूरेपन का गरल अब तो पीना ही होगा जब हकीकत मेरी जानेगी दुनिया सारी
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