20141220

उठ मेरी जान

उठ मेरी जान कि संभलना है तुझे
खुद ही खुद का खुदा बनना है तुझे
है रात ये स्याह गर
न ताक किसी और की जानिब
अपनी तकदीर को खुद से ही लिखना है तुझे

No comments:

Post a Comment