20150628

Chhotaa bachchaa

इक छोटा बच्चा
जो खुश
बहुत खुश रहना चाहता है
जीवन के हर पल का आनंद उठाना चाहता है
उसका मन करता है
बारिशों में खूब भीगे
और बच्चों की तरहा
और भी कई चाहतें हैं
जो वो छुपा कर रखता है
मन ही में अपनों की ख़ुशी की प्रार्थना करता है
वो बच्चा

जब भी कोई अपना निकलता है घर से बाहिर
तकता है उन्हें आँखों से ओझल होने तक
उसके बाय का जब उत्तर नही मिलता
उदास हो जाता है
पास हों नन्हे फ़रिश्ते गर उसके
खिलखिला उठता है वो
उन्हीं के आस पास मंडराता रहता है

कुछ भी नही चाहिए उसे
न मँहगे गिफ्ट या कपड़े
बस चाहता है
अपनों का साथ
उनकी जिंदगी से कुछ लम्हे
अपनी खातिर

वो छोटा बच्चा
कहीं और नहीं
मेरे ही मन में छुपा है
जीता है मुझ में ही
चाहता है अपनों के साथ
जी भरकर हँसते हुए
जीवन बिताना

मेरी बच्ची ने इक दफा कहा भी था
पा,आप के मन में इक बच्चा छुपा है
आप जो दिखाते हो
आप हो नही

सच ही तो है
मैं भी महसूस करता हूँ इस सच को
और आज स्वीकार भी

मुझमे छुपा है इक बच्चा
मेरे अंतर्मन में
चाहता भी नहीं कि
वो बड़ा हो
मैं उसे बड़ा नही होने दूँगा

क्यूकि
वो मुझे सिखाता है
खुश रहना
उम्मीद की लौ बुझने नहीं देता कभी
जिंदा रखता है मुझे
गर खो गया वो
मैं भी खो जाऊंगा
इस आपाधापी में
जिंदगी की

कभी यूँ लगता है
हम सब में एक बच्चा है
छुपा हुआ
जो
वक्त की लू से हलकान हो
गुम जाता है

गुम न होने दें उसे

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