इक छोटा बच्चा
जो खुश
बहुत खुश रहना चाहता है
जीवन के हर पल का आनंद उठाना चाहता है
उसका मन करता है
बारिशों में खूब भीगे
और बच्चों की तरहा
और भी कई चाहतें हैं
जो वो छुपा कर रखता है
मन ही में अपनों की ख़ुशी की प्रार्थना करता है
वो बच्चा
जब भी कोई अपना निकलता है घर से बाहिर
तकता है उन्हें आँखों से ओझल होने तक
उसके बाय का जब उत्तर नही मिलता
उदास हो जाता है
पास हों नन्हे फ़रिश्ते गर उसके
खिलखिला उठता है वो
उन्हीं के आस पास मंडराता रहता है
कुछ भी नही चाहिए उसे
न मँहगे गिफ्ट या कपड़े
बस चाहता है
अपनों का साथ
उनकी जिंदगी से कुछ लम्हे
अपनी खातिर
वो छोटा बच्चा
कहीं और नहीं
मेरे ही मन में छुपा है
जीता है मुझ में ही
चाहता है अपनों के साथ
जी भरकर हँसते हुए
जीवन बिताना
मेरी बच्ची ने इक दफा कहा भी था
पा,आप के मन में इक बच्चा छुपा है
आप जो दिखाते हो
आप हो नही
सच ही तो है
मैं भी महसूस करता हूँ इस सच को
और आज स्वीकार भी
मुझमे छुपा है इक बच्चा
मेरे अंतर्मन में
चाहता भी नहीं कि
वो बड़ा हो
मैं उसे बड़ा नही होने दूँगा
क्यूकि
वो मुझे सिखाता है
खुश रहना
उम्मीद की लौ बुझने नहीं देता कभी
जिंदा रखता है मुझे
गर खो गया वो
मैं भी खो जाऊंगा
इस आपाधापी में
जिंदगी की
कभी यूँ लगता है
हम सब में एक बच्चा है
छुपा हुआ
जो
वक्त की लू से हलकान हो
गुम जाता है
गुम न होने दें उसे
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