ये लम्बी फ़ेरहिस्त
दिखती है जो
सोशल नेटवर्क पर
एकाकी ही है फिर भी
हर एक
खुद अपनी लड़ाई लड़ता हुआ
किसी अनजाने बोझ से दबा
यूँ महसूस होता है जैसे
एक रेगिस्तान पसर गया है भीतर
यही खालीपन अंतर्मन का
वीराना
अजब है मन
कुछ कन्फ्यूज्ड सा
मरीचिका के पीछे भागता
मरिचिकाएं
जिनकी होने की संभावना ही नहीं
और जान कर भी
पाने की जिद
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