याद आती है सीता लक्ष्मण ने रेखा खींची थी जिसमें प्रवेश की अनुमति किसी को न थी पर सीता मुक्त थी वह बस प्रतीक था खतरा है बाहर कोई लक्ष्मण नहीं हमारी खातिर स्वयं खीचनी होती है रेखा हमें जीवन मर्यादित रहे ताकि
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