बुद्दू ही रहना चाहता हूँ
नही होना चाहता समझदार
न ही समझना चाहता हूँ
दुनिया को
दूनियादारी को
कोई क्या करता है
क्यूँ करता है
सोचता क्या है
क्या समझता है
नही जानना चाहता
बस जानता हूँ
हर एक की सोच जुदा है
समझ भी जुदा है
पर
साथ है
रिश्ते हैं
उसने भेजा है
जीने की खातिर
बस
जीना चाहता हूँ
कोई चाह नहीं
कोई आस नहीं
बस
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