20170503

आस

संग अब भी हैँ बीती यादों के एहसास
हाथ मे जाम है फिर भी है दिल मे प्यास
है विचरता ले के नयनों में वो अश्क़
न जाने कैसे उसके ख्वाब हैं खास
आज भी सुनाई देती है उसको आवाज़ें
चाँद उसका पुकारता है उसको है आस

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