20140312

हाथ की लकीरें

मुझ फ़क़ीर से क्या मांगते हो....
मैं तो खुद दर दर मांगता फिरता हूँ..

भटकता हूँ बियावान में
एक मरीचिका की तलाश में...

नही गिला कोई मगर
हाथों की लकीरों से....

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