मुझ फ़क़ीर से क्या मांगते हो.... मैं तो खुद दर दर मांगता फिरता हूँ..
भटकता हूँ बियावान में एक मरीचिका की तलाश में...
नही गिला कोई मगर हाथों की लकीरों से....
No comments:
Post a Comment