भूली हुई यादें हैं जिन पर वक्त की गर्द की गहरी पर्त जम गयी थी अब उन्हें एक एक कर के याद कर रहा हूं कहानियां अलग अलग हैं मगर दिल में धंसा तीर अभी तक निकला नहीं है रात तारों भरी है जिसके बीच चांद पसरा हुआ है
No comments:
Post a Comment