20140731

रात चाँद


भूली हुई यादें हैं
जिन पर वक्त की गर्द की गहरी पर्त जम गयी थी
अब उन्हें एक एक कर के याद कर रहा हूं कहानियां अलग अलग हैं
मगर दिल में धंसा तीर अभी तक निकला नहीं है
रात तारों भरी है
जिसके बीच चांद पसरा हुआ है

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