20190418

उधार

उधार की रोशनी कितने दिन की
ब्याज देने और किस्तें चुकाने में
और बीतते हर लम्हे बढ़ता गया उधार
सांसों के चूहे कुतरते रहे उम्र
पता ही न लगा
न जाने कितने उजाले भेंट चढ़ गए
पर न हो सका चुकता
अब भी कुछ है बाकी
उसकी चन्द साँसे हैं शेष

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